छलावा का छल – एक सच्ची डरावनी कहानी

AI द्वारा निर्मित तस्वीर : छलावा का
AI द्वारा निर्मित तस्वीर : छलावा कैसी दिखती है।

छलावा एक सच्ची डरावनी कहानी: दोस्तों रात के समय अक्सर या ध्यान में रखना चाहिए कि कोई भी अगर आपको आपके नाम से पुकारे आवाज़ लगाए तो तुरंत उत्तर में कुछ बोलना नहीं चाहिए यह क्यों यह आपको कहानी में आगे पता चलेगा।

कहानी की शुरुआत

दोस्तों यह भुतिया घटना बीते 25 30 साल पुरानी है और यह घटना मेरे ही पड़ोसी के साथ घटित थी जिसे सब कोई अपनी होशो हवास में समझे और जाने थे,

घटना का प्रारंभ

दरअसल बात यह हुई की शाम के करीब आठ या नो बज रहे होंगे, मेरे पड़ोसी यानी मनोहर चाचा अपने घर में आराम फरमा रहे थे की तभी उनको किसी ने यह बताया कि उनसे मिलने उनके कुछ पुराने दोस्त आए हुए‌ है जो उनका इंतजार दरवाजे पर बैठकी में कर रहे हैं।

पुराने दोस्तों का आगमन

चाचा ने जैसे ही जाना कि उनके कुछ मित्र उनसे मिलने आए हैं वह फौरन घर से निकले और बैठकी में चले गए जहां की उनका दोस्त उनका इंतजार कर रहे थे।

बातचीत चलने लगी काफी दिनों बाद मनोहर चाचा अपने पुराने दोस्तों से मिले थे इसलिए हंसी मजाक और गप्पे सबके लंबी चलने लगी इसी दरमियान मनोहर चाचा ने अपने लड़के से बोला अरे बेटा जाओ चार कप चाय लेकर आओ यह सुनकर मनोहर चाचा के बेटे यानी मुकुंद भाई घर में अपने मन को चाय बनाने के लिए कहा।

दोस्तों के साथ हंसी मजाक

इधर मनोहर चाचा बातों में अपने दोस्तों के साथ मगन थे और शायद यह अनुभव कुछ खास ही रहता होगा कि सालों बाद हम किसी अपने पुराने दोस्तों से मिलते हैं तो लाजमी है कि वह अंदाज वह प्यार कुछ एहसास जो पुरानी बातों को याद दिलाते हैं इसलिए मनोहर चाचा और उनके पुराने दोस्त लंबी बातचीत कर रहे थे।

चाय आने में देरी

तभी मनोहर चाचा को यह एहसास हुआ कि उन्होंने अपने बेटे यानी मुकुंद को बहुत पहले ही चाय लाने के लिए भेजा था लेकिन वह अभी तक चाय लेकर नहीं आया था इसलिए उन्होंने खुद जाने का फैसला किया। यह अपने दोस्तों से बोले मैं अभी 1 मिनट में आता हूं और वह बैठकी से उठकर अपने घर की ओर बढ़े चाय लेने के लिए,

घर पहुंच कर मनोहर चाचा ने देखा कि चाय उनकी पत्नी यानि चाचा कफ में छान ही रही थी, यह देख मनोहर चाचा चाचा पर गुस्सा करते हुए बोले कि इतनी देर कैसे लग गई चाय बनने में तभी मनोहर चाचा को किसी ने आवाज़ लगाई वह आवाज जो सिर्फ मनोहर चाचा को ही सुनाई पड़ी।

अनजानी आवाज – छलावा का छल

मनोहर चाचा के कान में जैसे ही उनके नाम की पुकार सुनाई पड़ी जैसे कोई उनको उनके नाम से बुला रहा हो तो उन्होंने तुरंत उत्तर में बोला हां हां आ रहा हूं इतना बोलकर वह चाय का कप लेकर बाहर निकले लेकिन शायद उनसे कोई बड़ी गलती हो चुकी थी।

मनोहर चाचा की चीख

चाचा बाहर निकालने के साथ जोर से चीखे उनकी चीख सुनकर चाची, मुकुंद भाई और बाकी उनके दो तीनों दोस्त दौड़ते हुए उनके पास पहुंचे वहां पहुंचकर सब ने देखा की मनोहर चाचा नीचे गिरे पड़े थे, चाय की प्याली बिखरी पड़ी थी किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था कि आखिर क्या हुआ।

डॉ का आगमन

मनोहर चाचा को उठाकर घर के अंदर ले जाया गया और फिर ग्रामीण डॉक्टर को बुलाया गया जो की बगल में ही उनका घर हुआ करता था, वह जाकर के जैसे ही मनोहर चाचा का चेकअप किया उनका नब्ज चेक किया तो सबको एक झटका लगा, वो ये की मनोहर चाचा अब नहीं रहे।

मनोहर चाचा नहीं रहे।

चाचा के बारे में ऐसा सुनकर चाचा मुकुंद भाई और उनके दोस्त बाकी अगल-बगल के पड़ोसी सब कोई सदमे में चले गए कि आखिर तुरंत में ही ऐसा क्या हो गया अभी तक तो सब कुछ ठीक था फिर अचानक क्या हो गया किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

दिव्य साधु का आगमन

मनोहर चाचा के देहांत के बाद उनका दाह संस्कार कर विधिवत उनका विधि पूजा किया गया यह सब होने के कुछ दिन बाद उनके घर में एक साधु आए जो देखने से ही पता चल रहा था की काफी ज्ञानी है उनके मुख पर एक अलग ही तेज दिख रहा था।

चाचा ने यानी मनोहर चाचा की पत्नी ने उसे साधु बाबा को आदर सहित अपने घर में आसन ग्रहण करने के लिए कहा और उनको पीने के लिए चाय और पानी भी दी, ऐसे ही बातों बातों में साधु बाबा ने चाचा से कहा की यहां हाल ही में कुछ अनहोनी घटी है जिससे तुम सभी अनजान हो।

साधु बाबा ने किया सबको आश्चर्य

साधु बाबा फिर आगे बोले की इस घर में हाल ही में किसी की मौत हुई है इस पर चाची ने स्पष्ट किया कि हां उन्हीं के पति का देहांत कुछ एकाद महीने पहले हुई थी, या सुन साधु बाबा बोले कि वह मृत्यु कोई साधारण या रोग ग्रसित या हार्ड अटैक इत्यादि से नहीं हुई थी वह एक दुष्ट आत्मा द्वारा की गई छल से हुई थी।

चाचा ने जैसे ही साधु बाबा की यह बात सुनी तो उनको बाद ही आश्चर्य हुआ कि साधु बाबा ऐसा क्यों बोल रहे हैं फिर साधु बाबा आगे बोल अच्छा वह घटना कैसे घटी थी कोई मुझे बताओ।

चाचा ने साधु बाबा को उसे रात की घटना बताई।

इस पर चाचा ने साधु बाबा को सारा वृत्तांत सुनाया कि वह कैसे अपने दोस्तों के लिए चाय लेने के लिए घर आए और सिर्फ उन्हीं को कोई आवाज सुनाई पड़ी और उसके उत्तर में उन्होंने बोला कि हा हा बस आ ही रहे हैं और फिर वह बाहर निकले तो उनकी एक चीख निकाली और जब सब कोई उनके पास पहुंचे तो वह जमीन पर गिरे पड़े थे उनकी मृत्यु हो गई थी।

छलावा

यह सुनकर साधु बाबा हंसते हुए बोले वह आवाज कोई साधारण नहीं बल्कि छलावा का छल था। दरअसल रात के समय छलावा लोगों के साथ चल करती है, वह किसी आदमी का जिसके साथ वह छल करना चाहती है उसके नाम से उसे पुकारती है अगर उसके उत्तर में तुरंत वह आदमी जिसे वह पुकार रही है जवाब दे दिया तो छलावा उसको मार डालती है।

साधु बाबा फिर बोले की छलावा को हम लोग कैसे पहचाने कि यह कोई आम आदमी नहीं बल्कि छलावा की आवाज।

छलावा को कैसे पहचाने?

उन्होंने आगे बताते हुए कहा की छलावा को हम उसके आवाज से नहीं पकड़ सकते क्योंकि वह बिल्कुल ही किसी अपने किसी जाने पहचाने आवाज में ही किसी को आवाज लगती है जिससे वह आदमी जिसे वह पुकार रही है उसे लगता है की कोई अपना जिसका आवाज वह पहले से जान रहा है, वही उसकी पुकार रहा है।

छलावा से बचने का उपाय

  • मध्य रात्री मे जल्दी घर से बाहर ना निकले।
  • अगर रात्री मे कोई आपको जानी पहचानी आवाज से भी आपका नाम लेकर पुकारे तो तुरंत जबाब ना दें।
  • तीन बार से जादा पुकारने पर ही उत्तर दें।
  • अगर मधी रात्री मे आप घर से बाहर निकले हैं और पीछे से कोई आवाज लगाए तो मुड़ कर नहीं देखना चाहिए।
  • अगर आपको लगे की आप संकट मे हैं, तो हनुमान चालीसा ज़ोर ज़ोर से पढ़ें।

 

जिन्न और मिनी की कहानी – इसे भी पढ़े।

 

साधु की बात सुनकर सब रह गए दंग।

यह सब बातें सुनकर चाची, मुकुंद भाई और बाकी सभी लोग दंग रह गए की छलावा का जैसी भी कोई बुरी आत्मा होती है, जो नाम पुकार कर लोगों को अपने साथ ले जाती है।

दोस्तों छलावा के अस्तित्व के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन अगर छलावा वास्तव में है तो हमें इससे बचने का वह उपाय याद रखनी चाहिए।

क्योंकि हम यह बचाव खुद के लिए करते हैं दूसरों के लिए नहीं अगर छलावा नहीं भी है तो भी अगर रात के समय आपको कोई आवाज लगाए तो पहले उसकी आवाज परखिए उसे तीन बार से ज्यादा बोलने दीजिए क्योंकि जब किसी को आपकी सच में जरूरत होगी तो वह आपको तीन बार क्या 50 बार भी आवाज लगा सकता है। लेकिन छलावा का एक फिक्स तय की हुई पुकार है, वो है तीन बार, तीन बार से ज्यादा वह किसी को नहीं पुकारती।

सीख

दोस्तों इस कहानी से हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिलती है।

  •  जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
  • कोई भी काम को धैर्य पूर्ण और सतर्कता के साथ करनी चाहिए।
  • जब भी रात में कोई अनजानी आवाज या जानी पहचानी आवाज सुनाई पड़े तो तुरंत जवाब नहीं देनी चाहिए।

निष्कर्ष

दोस्तों इस कहानी से हमें यह समझने को भी मिलती है कि हड़बड़ का काम गड़बड़। यानी हर काम सोच समझकर करनी चाहिए चाहे वह किसी के पुकारने पर आपका उत्तर देना है क्यों ना हो, क्योंकि छलावा छल भी कर सकता है।

FAQs

  1. क्या छलावा सच में होता है?
    छलावा का कोई प्रमाणीकरण स्पष्ट रूप से इसके अस्तित्व का विवरण नहीं मिलता है,
    लेकिन पौराणिक कथाओं में छलावा एक छल करने वाली बुरी शक्ति को माना जाता था।
  2. क्या यह कहानी सच्ची घटना है?
    हां,यह कहानी मैंने अपने घर वालों के मुंह से अपने चाचा अपने ताऊ के मुंह से भी इसका जिक्र सुना है।
  3. क्या इस वेबसाइट पर ऐसी कहानी मिलती रहेगी?
    हां, आपको यहां पर हॉरर कहानी, भूत प्रेत की कहानी, सच्ची घटना पर आधारित कहानी,
    भारतीय हॉरर जगह के बारे में जानकारी यह सब मिलती रहेगी।

मेरे प्यारे दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी अपनी राय कमेंट में जरुर लिखें।

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