प्रस्तावना
भूतिया लॉज: यह कहानी तब की है जब किशोर अपने गांव से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर किसी दूसरे शहर गया हुआ था अपना एग्जाम देने के लिए। और उसके साथ उस रात जो हुआ उस घटना को याद आने पर आज भी उसके चेहरे पर डर की लकीरें खींच जाती है।
मेरा परिचय
तो नमस्ते दोस्तों आज के इस हॉरर स्टोरी ब्लॉग में आपका बहुत-बहुत फिर से स्वागत करता हूं, मेरा नाम है अविनाश कुमार सिंह और मैं हॉरर रिलेटेड कहानी आप सबके लिए लाता रहता हूं।
कहानी की शरुआत
यह कहानी शुरू होती है 2018 में किशोर का गांव बिहार के सिवान जिले में पड़ता था। उसके घर में किशोर उसके मां पिताजी और उसकी दादी रहती थी किशोर अपने मां बाप का इकलौता संतान था, किशोर उसे समय 12वीं कक्षा में पढ़ रहा था वह कंपटीशन की तैयारी भी साथ में करता था, बिहार में और खासकर गांव में हर मां-बाप का सपना होता है कि उसका लड़का बड़ा होकर एक सरकारी नौकरी ले
जिससे उसके घर के जो भी हालत है वह सुधर सके और गांव में चारों चर्चा हो कि फालना का लड़का अफसर बना है और शायद यह सच भी है कि अभी भी देश में जितने भी आईएएस आईपीएस हैं वह अधिकतर बिहार से ही बिलॉन्ग करते हैं।
किशोर भी खूब मन लगाकर पढ़ाई करता था वह अक्सर रात के समय अपने दादी मां से कहानियां सुना करता था किशोर को पौराणिक किस्से , और भूत प्रेत की कहानी सुनने में काफी अच्छा लगता था उसकी दादी भी उसे डेली कहानी सुनाती थी।
दादी ने किशोर को सुनाई छलावा की कहानी
एक रात किशोर अपनी दादी के साथ अपने घर के आंगन में चारपाई पर बैठा था उसकी मां घर की रसोई घर में सबके लिए खाना बना रही थी और पिताजी गांव के चौखंडी पर बैठकर लोगों से बातचीत कर रहे थे, सच पूछिए तो गांव की यही खासियत है। अगर आप गांव में रहते हैं या कभी गांव में रहे हैं तो गांव जो है वह एक अपना सा लगता है गांव के लोग अपने लगते हैं गांव की बात ही अलग है वहां सब
कोई एक दूसरे के मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, जिस समय की यह बात है उस समय बिजली जो है काफी कम रहती थी, मुश्किल से 3 से 4 घंटे ही बिजली रहती थी उस समय सभी के घर में मिट्टी तेल से जलने वाली डिबिया लालटेन और लैंप हुआ करता था। किशोर के घर में भी जब वह अपने दादी के साथ आंगन में बैठा था तो बगल में एक डिबिया जल रही थी, गर्मी का मौसम था आंगन में मंद मंद हवा चल रही थी, किशोर अपनी दादी से कहता है …
दादी आज मुझे भूत की कहानी सुनना है। क्या दादी मां भूत सच में होते हैं?
इस पर दादी मुस्कुराई और बोली की जैसे भगवान होते हैं हम उन्हें देख नहीं पाते लेकिन मानते हैं जैसे अच्छाई के साथ बुराई होती है उसी प्रकार भूत भी होते हैं। किशोर दादी मां की बात बड़ी गौर से सुन रहा था। दादी मां फिर कहती है आज मैं तुमको छलावा की कहानी सुनाती हूं, छलावा…छलावा एक प्रकार की चुड़ैल होती है जो लोगों के साथ छल करती है।
दादी मां फिर आगे कहती हैं कि जब मैं 19 साल की थी तो उस समय भूत प्रेत की घटनाएं आय दिन सुनने को मिलती थी, एक दिन मैं मेरे पिताजी और मेरी मां सब कोई घर में बैठे थे, उस समय करीब रात के 8 या 9 बज रहे होंगे सभी लोग खाना खाकर ऐसे ही बैठकर गप कर रहे थे, तभी मेरी बगल वाली चाची आई और मुझसे बोली करुणा बेटी खाना खा ली तुम, इस पर मैं बोली हां चाची हम लोग खाना खा लिए बोलिए कुछ काम था, चाची बोली हां आज मेरे घर में कोई नहीं है सभी कुटमैती (कोई फ़ंगशन में गए हुए थे दूसरी जगह)में गए हुए हैं मैं घर पर अकेली हूं क्या तुम आज मेरे साथ मेरे घर में सो सकती हो, इस पर मैं बोली हां कोई दिक्कत नहीं है चाची मैं आपके साथ सो सकती हूं चलिए। और मैं उनके साथ पीछे-पीछे जाने लगी उनका घर करीब मेरे घर से सौ डेढ़ सौ मीटर दूरी पर था।
लेकिन जब मैं उनके साथ जा रही थी तभी अचानक मैंने देखा की जिस रास्ते हम लोग जा रहे थे वहां एक घर के दहलेज पर एक औरत जो सफेद साड़ी पहनी हुई थी वह पूरा घूंघट लेकर बैठी हुई थी मैंने जैसे ही कुछ बोलने की कोशिश की तो चाची ने मुझे इशारे से चुप रहने के लिए कहा और तब तक मैं और चाची रुक रहे जब तक की वह औरत वहां से उठकर वहां से चली नहीं गई। जब मैं और चाची घर पहुंच गए तब मैंने चाची से पूछा चाची वह औरत कौन थी और आपने मुझे कुछ बोलने से मना क्यों किया? इस पर चाची बोली की बेटी वह कोई इंसान नहीं थी वह चुड़ैल थी जो रात में इसी तरह घर-घर भटकती है अगर तुम उस समय कुछ बोलती तो हो सकता है कि वह हम दोनों को कुछ छती पहुंचा सकती थी। वह जो औरत थी उसे गांव में सब कोई छलावा के नाम से जानता है छलावा जो है वह रात में घर के बाहर से आवाज लगती है जैसे कोई अपना ही पुकार रहा हो, अगर उसके बोलने पर कोई तुरंत जवाब दे दे तो कहते हैं कि उसकी मौत हो जाती है। इतना कह कर दादी मां चुप हो गई।
किशोर दादी की बात बड़ी ध्यान से सुन रहा था जब दादी ने यह सब किशोर को सुनाया तो किशोर भी काफी डरा हुआ महसूस कर रहा था, फिर तब तक किशोर की मां रसोई घर से आई और बोली चलो खाना बन गया है, फिर सब कोई खाना खाकर सो गए।
किशोर आज तक जितनी भी कहानी अपनी दादी से सुन रखी थी उन सब में से उस दिन जो छलावा की कहानी उसने सुनी उसके मन में यह बैठ गया।
किशोर का हुआ छलावा से सामना
कुछ हफ्ते बाद किशोर का कोई एग्जाम था जिसके लिए उसे अपने घर से ढाई सौ किलोमीटर दूर जाना था, किशोर अपने सभी बड़ों से आशीर्वाद लेकर एग्जाम देने के लिए घर से निकाला और ट्रेन पकड़ कर वह वहां जा पहुंचा जहां अगली सुबह उसकी एग्जाम थी।
जैसे ही किशोर स्टेशन से बाहर निकाला और रात बिताने के लिए कोई रूम खोज रहा था तो उसे एक आदमी मिला और वह आदमी किशोर को एक लॉज में लेते गया जहां₹50 प्रति बैड के हिसाब से चार्ज किया जाता था किशोर के लिए या अच्छा भी था उसे सिर्फ एक रात बितानी थी फिर अगले दिन एग्जाम देकर वह वापस अपने गांव लौट जाता।
किशोर बेड लेकर कुछ देर रेस्ट किया उसके बाद उसकी मां ने जो उसे रात में खाने के लिए कुछ घर से बना कर दिया था उसको वह खाया और फिर सो गया उसके अगल-बगल और भी कई लोग सो रहे थे। लेकिन अचानक कुछ देर के बाद किशोर की नींद खुली, नींद खुलने पर किशोर की नजर वहां दीवार पर लगी घड़ी पर गया उस समय करीब रात के 1:30 बज रहे थे, किशोर फिर अपनी करवट लेकर दूसरी ओर मुड़ा, लेकिन तभी उसकी नजर उस लॉज के एक कोने पर गई वहां सब कोई सोया हुआ था लेकिन लॉज के उस कोने में कोई लंबा सा दिखने वाला आदमी खड़ा था। किशोर को लगा कि कोई व्यक्ति जो वहां सोया होगा वह पानी वगैरह पीने के लिए उठा होगा, यह सोचकर वह फिर अपनी आंख बंद कर लिया लेकिन फिर उसके मन में उसकी दादी की सुनाई हुई कहानी चलने लगी और कुछ देर आंखें बंद रहने के बाद किशोर फिर से अपनी आंख खोला लेकिन अब उसे वहां कोई खड़ा हुआ आदमी नहीं दिखा यह देखकर किशोर को सुकून मिला और फिर वह सो गया।
लेकिन थोड़ी देर बाद किशोर फिर करवट लेने के लिए जैसे ही आंख खोला उसने देखा कि उस कोने में फिर वही आदमी खड़ा है। अब किशोर के मन में डर घर करने लगा। फिर भी वह उसे पर ध्यान न देते हुए करवट बदलते हुए दूसरी ओर मुंडा और अपनी चादर से अपना पूरा शरीर को ढक कर सो गया लेकिन उसे अब नींद नहीं आ रही थी। उसके मन में बार-बार अब दादी की कहानी चल रही थी और उसे लग रहा था कि हो ना हो यह कोई भूत प्रेत या वही छलावा है जिसका जिक्र उसकी दादी ने उस कहानी में की थी।
किशोर से रहा नहीं गया उसने फिर अपना चादर को अपने सर से नीचे किया और जैसे ही आंख खोला कि उसने देखा कि इस बार वह आदमी ठीक उसके सामने उस लॉज के दूसरे कोने में खड़ा हुआ है मतलब पहले वह कहीं और था अब वह कहीं और है किशोर ने झट से पीछे मुड़कर देखा जहां उसने उस आदमी को पहले खड़ा देखा था अब वहां कोई नहीं था लेकिन अब वह जो भी था लंबा जैसा इंसान या शैतान वह अब उसके सामने दूसरे कोने में खड़ा हुआ था यह देखकर किशोर को मानो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था डर से अब वह न सो पा रहा था ना किसी से कुछ कर पा रहा था क्योंकि दादी ने उसे यह कहा था कि दादी की चाची ने उसे उस समय कुछ बोलने पर माना की थी क्योंकि वह चुड़ैल कुछ बोलने पर उस आदमी को छती पहुंचा सकती है। जैसे-तैसे किशोर वहां रात गुजर रहा था अब ऐसा हो गया था कि किशोर जहां देखा वह आदमी उसको ठीक अपने सामने दिखाई देता था किशोर को अब यह समझ आ गया था कि वह किसी भूतिया जगह सोने आ गया है। किशोर अब फैसला किया कि अब वह आंख खुलेगा ही नहीं और चादर से अपना सर ढक करके ही रात भर रखेगा।
जब सुबह हुई किशोर के कान में कई लोगों की आवाज सुनाई दी तो वह धीरे से अपना चादर अपने सर से उतरा और आंख खोला तो अब वह जगह बिल्कुल सामान्य लग रही थी किशोर ने झट से अपना सामान उठाया और उस लॉज के मालिक को ₹50 दिया और वहां से निकल गया। वहां से निकलने पर किशोर को इतनी खुशी हुई कि मानो वह जो एग्जाम देने वह आया था उसमें वह पास हो गया हो।
किशोर पास के एक चाय दुकान पर गया और वहां एक कप चाय उसने मांगी दुकानदार उसे चाय दिया, किशोर चाय पीते हुए दुकानदार को रात की सारी घटना बताई इस पर दुकानदार ने जो बोला उससे किशोर पूरा हिल गया।
दुकानदार ने बोला आप जो बोल रहे हैं वह पहली बार नहीं है यहां पर रह चुके कई आदमी से इस तरह की घटना की शिकायत मिली हुई है। उस दुकानदार ने बोला कि आप जिस लॉज में ठहरे हुए थे उस लॉज में सच में किसी आत्मा का वास है इसलिए जो इस लॉज के बारे में जानते हैं वह कभी दोबारा इस लॉज में नहीं ठहरता क्योंकि हर बार किसी न किसी को वह शैतान दिखता है। एक बार तो उस आत्मा ने एक आदमी को छती भी पहुंचा था।
किशोर ने जैसे ही यह सब सुना तो अब उसकी हिम्मत बिल्कुल नहीं रही कि वह एग्जाम सेंटर जाए और एग्जाम दे, वह वहां से डायरेक्ट स्टेशन गया वहां से जो सबसे पहली ट्रेन उसके गांव के लिए जाती थी उसे वह पकड़ा और सीधे अपने गांव वापस आ गया। किशोर जब घर पहुंचा तो उसके घर वाले उससे बोल कि तुम इतना जल्दी कैसे आ गए?
इस पर किशोर जोर-जोर से रोने लगा किशोर की ऐसी हालत देख उसके घर वाले भी काफी डर गए, और फिर किशोर से पूछने लगे कि आखिर क्या हुआ बेटा? बात क्या है…इस पर किशोर रोते हुए उस रात की सारी घटना अपने घर वालों को सुनाई फिर सब कोई उसको समझाया बुझाया और बोला कि वह डरे नहीं अब वह बिल्कुल सुरक्षित है लेकिन किशोर को उस घटना से निकलने में काफी दिन लगे किशोर उस घटना से इतना डर गया था कि अब वह ना दादी से भूत की कहानी सुनाने के लिए कहता और ना ही वह घर मेंअकेले सोता वह अगर बाथरूम भी जाता तो वह अकेले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता वह अपनी मां को साथ ले जाता था।
निष्कर्ष
अभी भी कुछ लोग हैं जो भूत-प्रेत को नहीं मानते लेकिन जिसके साथ भी ऐसी घटना घटी है उसको भूत प्रेत की अस्तित्व पर विश्वास हो गया है किशोर की दादी मां बिल्कुल सच बोली थी की इस संसार में अच्छाई के साथ कुछ बुराई भी होती है।