Shaniwar Wada Ka Rahasya | शनिवार वाड़ा की रोचक कहानी| क्या शनिवार वाड़ा भूतिया है?

Last Updated: 5 August 2025

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Shaniwar Wada :- नमस्ते! क्या आपने पुणे के उस पुराने किले की कहानी सुनी, जो दिन के उजाले में इतिहास की गाथाएँ सुनाता है परंतु रात में लोग वहाँ जाने की सोचते भी नहीं। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ शनिवार वाड़ा की! ये जगह मराठा साम्राज्य की शान है, लेकिन लोग कहते हैं कि यहाँ देर सन्नाटे में कभी कभी एक आवाज सुनाई पड़ती है, एक लड़के की आवाज़। आखिर क्या है इस किले की सालों पुरानी कहानी, क्या सच में रात के समय किसी लड़के की आवाज सुनाई पड़ती है? आइए इसको विस्तार से समझते और जानते हैं!

शनिवार वाड़ा किले का जादू:

पुणे की हलचल भरी गलियों में चलते हुए, जब आप शनिवार वाड़ा के बड़े-बड़े दरवाजों के सामने पहुँचते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे समय रुक गया हो। इस किले की दीवारें सैकड़ों साल पुरानी कहानियाँ छुपाए बैठी हैं। दिन में यहाँ की इतिहास को जानकार आप गौरवान्वित महसूस करेंगे, लेकिन रात होते ही लोग इस किले के बारे में तरह तरह की बातें करने लग जाते हैं। कोई कहता है, “पूर्णिमा की रात में एक लड़के की आवाज़ आती है, जो कहता है, “काका, मला वाचवा!” यह एक मराठी भाषा है जिसका हिन्दी में अर्थ है “चाचा मुझे बचाओ।”  क्या ये सच है, या बस एक कहानी? आइए इसे और विस्तार से जानते और समझते हैं।

शनिवार वाड़ा: मराठा शान का प्रतीक

शनिवार वाड़ा कोई साधारण किला नहीं है। इसे 1732 में पेशवा बाजीराव प्रथम ने बनवाया था, जो मराठा साम्राज्य के एक महान योद्धा और शासक थे। ये किला मराठा शासन का दिल था, जहाँ बड़े-बड़े फैसले लिए जाते थे। यहाँ के दिल्ली गेट, मस्तानी दरवाजा, और विशाल प्रांगण मराठा और मुगल कला का शानदार नमूना हैं। 1828 में एक बड़ी आग ने इस किले को खंडहर बना दिया, लेकिन इसके अवशेष आज भी इतिहास की गवाही देते हैं।

किले की दीवारों पर बनी नक्काशी और बड़े-बड़े दरवाजे देखकर आप मराठा राजाओं की शक्ति और शान का अंदाजा लगा सकते हैं। यहाँ का लाइट एंड साउंड शो इतिहास को इतने मज़ेदार तरीके से बताता है कि बच्चे और बड़े, दोनों इसे पसंद करते हैं। अगर आप पुणे में हैं, तो ये जगह देखना न भूलें। आइए, इस किले की सारी खासियतें एक आसान टेबल में देखते हैं:

खास बातजानकारी
इतिहास1732 में पेशवा बाजीराव प्रथम ने बनवाया। मराठा साम्राज्य का मुख्य केंद्र। 1828 में आग से क्षतिग्रस्त।
खासियतदिल्ली गेट, मस्तानी दरवाजा, और खुला प्रांगण। मराठा-मुगल वास्तुकला का खूबसूरत दृश्य।
देखने लायकलाइट एंड साउंड शो, पुरानी दीवारें, नक्काशी, और पास का शनिवार पेठ बाज़ार।
कैसे पहुंचे यहाँ?पुणे रेलवे स्टेशन (2 किमी) या पुणे हवाई अड्डा (10 किमी)। बस, ऑटो, या टैक्सी से आसानी से पहुँच सकते हैं।
यहाँ आकार क्या क्या कर सकते हैं?किला घूमें, फोटो खींचें, लाइट शो देखें, और बाज़ार में मिसल पाव या वडा पाव का मज़ा ले सकते हैं।
सस्ते में घूमने के टिप्सलोकल बस या शेयर्ड ऑटो का उपयोग करें। पास के ढाबों पर सस्ता और स्वादिष्ट खाना खाएँ।
बेस्ट समय घूमने काअक्टूबर से मार्च, यह मौसम ठंडा और सैर के लिए सही होता है। बाँकी आप कभी भी जा सकते हैं।

क्या शनिवार वाड़ा भूतिया है?

अब आते हैं उस बात पर, जिसके कारण शनिवार वाड़ा इतना मशहूर है—इसके भूतिया किस्से। लोग कहते हैं कि यहाँ नारायणराव पेशवा की आत्मा/भूत भटकती है। नारायणराव महज 17 या 18 साल के थे, जब 1773 में उनके अपने ही रिश्तेदारों ने एक साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी। उस वक्त वो अपने चाचा से मदद माँग रहे थे, चिल्ला रहे थे, “काका, माला वाचवा!” यानी “चाचा, मुझे बचाओ!”। स्थानीय लोग बताते हैं कि पूर्णिमा की रात को उनकी आवाज़ आज भी सुनाई देती है। यह सुनकर आप थोड़ा रोमांच तो हुए ही होंगे?

लेकिन क्या यह कहानी सच है या फिर महज एक मनगढ़ंत अफवाह?

शनिवार वाड़ा में भूत होने का पुख्ता सबूत?

क्या शनिवार वाड़ा सचमुच भूतिया है? महाराष्ट्र टूरिज्म की आधिकारिक वेबसाइट और पुणे के इतिहासकारों के अनुसार, इन भूतिया कहानियों का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है। किले की पुरानी और खंडहर हालत, हवा की सनसनाहट, और चाँदनी रात में बनने वाली छायाएँ इन कहानियों को जन्म देती हैं। 1828 की आग के बाद किला खाली पड़ा है, और खाली इमारतों में हवा अजीब आवाज़ें पैदा कर सकती है जिसे लोग शायद भूत की आवाज या कुछ और समझ बैठते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में भी कहा गया कि ये कहानियाँ सैलानियों को आकर्षित करने के लिए मशहूर हुईं। कुछ लोग मानते हैं कि नारायणराव की दुखद कहानी ने लोगों की कल्पना को हवा दी, और धीरे-धीरे ये भूतिया किस्से बन गए।

हालांकि, ये कहानियाँ शनिवार वाड़ा को और भी रोचक बनाती हैं। ये किला सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह है, जो लोगों की जिज्ञासा को बढ़ाती है। अगर आप थोड़े रोमांच के शौकीन हैं, तो इन कहानियों को सुनकर मज़ा लें, लेकिन डरने की ज़रूरत नहीं!

घूमने के नजरिए से शनिवार वाड़ा क्यों है खास?

शनिवार वाड़ा की कहानी सिर्फ भूतिया किस्सों तक सीमित नहीं है। ये किला मराठा साम्राज्य की शान और शक्ति का प्रतीक है। यहाँ का लाइट एंड साउंड शो मराठा इतिहास को इतने मज़ेदार तरीके से पेश करता है कि बच्चे और बड़े, दोनों मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। किले की दीवारों पर बनी नक्काशी और बड़े-बड़े दरवाजे देखकर आप उस ज़माने की कल्पना कर सकते हैं, जब मराठा योद्धा यहाँ रणनीतियाँ बनाते थे।

पास में शनिवार पेठ बाज़ार है, जहाँ आप मिसल पाव, वडा पाव, और पुणे की मशहूर मिठाइयाँ खा सकते हैं। बाज़ार में हस्तशिल्प और छोटी-छोटी दुकानें भी हैं, जहाँ आप सस्ते में शॉपिंग का मज़ा ले सकते हैं। अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो किले की पुरानी दीवारें और प्रांगण आपके लिए perfect हैं।

पुणे में और घूमने की जगहें?

शनिवार वाड़ा के आसपास और भी कई जगहें हैं, जो आपकी सैर को और मज़ेदार बनाएँगी:

  • शनिवार पेठ बाज़ार: यहाँ सस्ते में हस्तशिल्प, कपड़े, और खाने की चीज़ें मिलती हैं। पुणे की मशहूर मिठाई, अम्बा बर्फी, ज़रूर ट्राई करें।
  • पर्वती हिल: यहाँ से पूरे पुणे का नज़ारा दिखता है। हल्की ट्रेकिंग के लिए भी ये जगह अच्छी है।
  • राजा दिनकर केलकर म्यूज़ियम: मराठा और मुगल कला की पुरानी चीज़ें देखने के लिए बेस्ट जगह।
  • आगा खान पैलेस: गाँधी जी से जुड़ा ये ऐतिहासिक स्थान भी पास में है।

शनिवार वाड़ा का इतिहास: गहराई से जानें

शनिवार वाड़ा का इतिहास सिर्फ एक किले की कहानी नहीं, बल्कि मराठा साम्राज्य की गौरव गाथा है। बाजीराव प्रथम ने इसे बनवाया, ताकि मराठा शासन को एक मज़बूत केंद्र मिले। उस समय मराठा साम्राज्य अपने चरम पर था, और ये किला उनकी ताकत का प्रतीक था। यहाँ कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं, जैसे पेशवाओं के बीच सत्ता की लड़ाई और मराठा योद्धाओं की रणनीतियाँ।

नारायणराव की हत्या इस किले की सबसे दुखद घटना थी। उनकी कहानी ने लोगों के दिलों में एक गहरा असर छोड़ा। इतिहासकारों के अनुसार, उनकी हत्या सत्ता के लिए रची गई साजिश थी। इस घटना ने शनिवार वाड़ा को एक दुखद लेकिन रोचक जगह बना दिया। आज भी लोग इस किले को देखने आते हैं, ताकि मराठा इतिहास को करीब से समझ सकें।

निष्कर्ष

शनिवार वाड़ा की कहानी एक ऐसी कहानी है, जो इतिहास, रहस्य, और मज़े का शानदार मिश्रण है। ये किला मराठा साम्राज्य की गौरवशाली गाथाएँ सुनाता है, और इसके भूतिया किस्से इसे और रोमांचक बनाते हैं। चाहे आप इतिहास के दीवाने हों, फोटोग्राफी के शौकीन हों, या बस मज़ेदार कहानियाँ सुनना पसंद करते हों, शनिवार वाड़ा आपके लिए perfect है। तो, अगली बार पुणे जाएँ, तो इस किले को ज़रूर देखें। दिन में इसका इतिहास जानें, और रात की कहानियों को मज़े में सुनें। क्या आप तैयार हैं इस किले के राज खोजने के लिए?

डिस्क्लेमर: ये जानकारी सिर्फ पर्यटन और मनोरंजन के लिए है। शनिवार वाड़ा में रात को प्रवेश निषेध है, इसलिए कृपया स्थानीय नियमों का पालन करें और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें।

FAQs

1. शनिवार वाड़ा पुणे में कहाँ है?

पुणे के शनिवार पेठ इलाके में, शहर के बीचों-बीच।

2. क्या शनिवार वाड़ा सचमुच भूतिया है?

कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है। ये कहानियाँ किले की पुरानी हालत और हवा की आवाज़ों से बनी हो सकती है। हर आदमी का अपना अपना नजरिया इस किले को खास बनाता है।  

3. क्या रात में शनिवार वाड़ा जा सकते हैं?

नहीं, रात में प्रवेश मना है।

Hello friends, I’m Avinash Singh, passionate about reading and writing horror stories. I’m always curious about mysterious places and scary tales. That’s why I started *Bhut Ki Kahani* to share my own stories and real incidents with you.

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